विपक्ष ने गेहूं संकट पर पूछा सवाल, तो केंद्रीय मंत्री तोमर ने दिया ये जवाब

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने संसद में गेंहू उत्पादन, खरीद एवं उसकी कीमत की स्थिति के बारे में जानकारी दी। गेहूं के कम उत्पादन और खरीद से संबंधित संसद में केंद्र सरकार से पूछे गए सवाल के जवाब में केंद्रीय कृषि मंत्री ने गेहूं की मौजूदा स्थिति की जानकारी दी। सरकार से सवाल किया गया था कि, क्या देश में गेहूं की कमी है ?

गेहूं की कीमत अभी भी MSP से अधिक, 10.64 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का अनुमान

केंद्रीय कृषि मंत्री का जवाब

संसद में इस सवाल के जवाब में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने देश में गेहूं का किसी तरह का कोई संकट न होने की बात कही। उन्होंने सदन को बताया कि, गेहूं निर्यात पर रोक लगाए जाने के बावजूद गेहूं की कीमत, न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक बनी हुई है। सदन में प्रस्तुत गेहूं की स्थिति से संबंधित विस्तृत जवाब में केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि, देश में गेहूं का कोई संकट नहीं है। उन्होंने बताया कि, देश के कृषक घरेलू जरूरत से अधिक मात्रा में गेहूं की पैदावार कर रहे हैं।



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गर्मी से पड़ा प्रभाव

तोमर ने मार्च के महीने में पड़ी तेज गर्मी के कारण गेहूं के उत्पादन में कमी आने की सदन को जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि, खुले बाजार में ऊंचे दाम मिलने के कारण किसानों ने वहां गेहूं बेचा। इस कारण सरकारी खरीद लक्ष्य के अनुसार पूरी नहीं हो पाई।

गेहूं निर्यात प्रतिबंध

व्यापारियों द्वारा निर्यात के मकसद से किसानों से भारी मात्रा में गेहूं खरीदा जा रहा था। इससे भी सरकारी खरीद प्रक्रिया लक्ष्य प्रभावित हुआ। हालांकि बाद में गेहूं के निर्यात पर रोक लगाई गई।



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जरूरत से अधिक उत्पादन

संसद में केंद्रीय कृषि मंत्री की ओर से प्रदान की गई जानकारी के अनुसार भारत अपनी घरेलू जरूरत से ज्यादा गेहूं का उत्पादन करता है, इसलिए भी देश में गेहूं का कोई संकट नहीं है।

नेता प्रतिपक्ष ने पूछा था सवाल

केंद्रीय मंत्री तोमर ने राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी प्रदान की।

तीसरा अग्रिम अनुमान

तोमर ने तीसरे अग्रिम अनुमान की भी जानकारी सदन मेंं प्रदान की। कृषि मंत्री के अनुसार साल 2021-22 के दौरान 10.64 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन होने का अनुमान लगाया गया है। यह पिछले पांच सालों (वर्ष 2016-17 से 2020-21) के दौरान उत्पादित गेहूं के औसत उत्पादन (10.38 करोड़ टन) से ज्यादा है। कृषि मंत्री ने बताया कि, देश की समग्र खाद्य सुरक्षा के प्रबंधन और पड़ोसी एवं कमजोर देशों की सहायता करने के लिए केंद्र सरकार ने गेहूं की निर्यात नीति में आवश्यक संशोधन किए हैं।



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एमएसपी से अधिक कीमत

सदन को दी गई जानकारी में केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने बताया कि, गेहूं की मौजूदा कीमत गेहूं के MSP या न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी अधिक है।

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निर्यात से प्रभाव नहीं

गेहूं पर निर्यात संबंधी रोक के बारे में उन्होंने कहा कि, गेहूं पर निर्यात से किसानों की कृषि आय पर किसी तरह का बुरा असर नहीं पड़ा है। ऐसा इसलिए क्योंकि, गेहूं के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध के बावजूद गेहूं उत्पादक कृषकों को अच्छा एवं लाभकारी मूल्य प्राप्त हो रहा है। गौरतलब है कि देश में समग्र खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करने एवं पड़ोसी और कमजोर देशों को खाद्य मदद प्रदान करने के लिए भारत की केंद्रीय सरकार ने इस वर्ष 13 मई को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लागू कर दिया था।

निर्यात विशिष्ट स्थिति में

सदन को दी गई जानकारी के अनुसार गेहूं निर्यात पर रोक कुछ स्थितियों में शिथिल भी की जा सकती है। राज्य सरकारों के अनुरोध एवं केंद्र सरकार द्वारा दी गई अनुमति के आधार पर जरूरतमंद देशों की खाद्य सुरक्षा जरूरतों की पूर्ति के लिए निर्यात की अनुमति दी जाएगी। आपको ज्ञात हो कि, वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने रिकॉर्ड 70 लाख टन गेहूं का निर्यात किया।